Success Stories

सब्जी उत्पादन से आजीविका में सुधार

भारत संरचनात्मक दृष्टि से गांवों का देश है। […]

मुर्गी पालन आजीविका सुधार हेतु बेहतर विकल्प

भारत में मुर्गी पालन का व्यवसाय प्राचीन समय से किया जा रहा है। […]

TRANSFORMING LIVES

THE PAPAYA REVOLUTION IN PANDARIPANI KAMAR […]

मशरूम प्रजाति (ओयेस्टर) उत्पादन

वर्तमान समय में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण लगातार कृषि जोत भूमि घटती जा रही है […]

कृत्रिम आभूषण निर्माण - आजीविका का बेहतर विकल्प

गरीबी संसार के सबसे विकट समस्याओं में से एक है। […]

शिक्षा के प्रति जागरूकता को बढ़ा रहा “अक्षर परिचय अभियान”

गांव ताजपुर के बाहरी किनारे पर बसे मुसहर टोला के बच्चे, […]

किस्मत मौका देती है पर मेहनत चैंका देती है

सफलता मेहनत से मिलती है, इसके लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। […]

वाटरशेड परियोजना के माध्यम से छोटे एवं लघु किसानों की आजीविका में वृद्धि |

अपने खेत में कार्य करते हुए सुजान लोधी एवं उसका परिवार बहुत ही खुश हैं […]

स्वच्छता के माध्यम से गाँवों में स्वास्थ्य सुधार

इफको-टोकियो जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लि. द्वारा अपने सी.एस.आर. के अंतर्गत, इफको-टोकियो समन्वित ग्रामीण विकास परियोजना.. […]

कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से महिला सशक्तिकरण

भुवनेश्वर से पुरी रोड पर लगभग 31 कि.मी. की दूरी पर स्थित पिपली बाजार एवं सिउला की दुकानों में सुदर हस्तशिल्प जैसे नारियल जूट से बने जानवरों की आकृति के मनमोहक खिलौने […]

अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह में आई.एफ.एफ.डी.सी. की सहभागिता

सहकारिता के माध्यम से नए रोजगार सृजन कर समाज के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाई जा सकती है। […]

मेढापल्ली में तीखी हरी मिर्च किसानों के जीवन में ला रही है मिठास (इफको ग्रामीण आजीविका विकास ओडिशा)

मिर्च के उत्पादन में भारत विश्व में पहले स्थान पर है। भारत अपने कुल मिर्च उत्पादन का 5% अन्य देशों को निर्यात करता है। […]

मसालायुक्त आजीविका

जब उचित मार्ग और प्रारंभिक हैंड होल्डिंग सहित सहायता प्रदान की जाये तो ग्रामीण महिलाओं में अपने जीवन और आजीविका में परिवर्तन लाने की पर्याप्त क्षमता होती है।यह कथन, इफको-टोकियो एकीकृत ग्रामीण विकास परियोजना-अजमेर (राजस्थान) में सच सिद्ध हो गया। […]

पलायन की सोच में परिवर्तन

उत्तराखंड के पहाड़ों की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। परन्तु, इन पहाड़ों के लाखों निवासी, इतनी सुन्दर जगह से पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। इसका एक ही कारण है कि, यहाँ आजीविका के स्त्रोतों की कमी है। […]

VANISHED BUT REJUVENATED

THIS IS INDEED A STORY OF DILIGENT FARMER MR. SANNU SINGH RAWAT RESIDING IN VILLAGE BHAWANIPURA, BLOCK MASUDA BLOCK OF AJMER DISTRICT IN RAJASTHAN. HE IS NOW INTO VEGETABLE CULTIVATION AND HAS MADE FARMING A LUCRATIVE AFFAIR AND REAPING A PROFIT OF RS 2.50 LAKH PER ANNUM WITH THE HELP OF IFFCO-TOKIO .. […]

IFFDC- MOVING FORWARD WITH STEPS FOR ENHANCING LIVELIHOOD OF TRIBAL COMMUNITY

PRESENTLY, IFFDC IS NURTURING 1820 SHGS WITH A TOTAL MEMBERSHIP OF ... […]

SMALL STEP BUT HUGE IMPACT

THE BORO TRIBAL COMMUNITY PARTICULARLY THE WOMEN OF VILLAGES BAMANKUSHI, GHORAMARA, UTTAR BHERA, DAKSHIN BHERA AND BAGMARI SUPA IN BARPETA DISTRICT (ASSAM) ARE VERY MUCH CONTENT […]

NECESSITY IS THE MOTHER OF INVENTION

THIS IS THE STORY OF WOMEN SELF HELP GROUP (SHG) NAMED “DURGA SYAM SHAYATA SAMUH” OF VILLAGE BHAWANIPURA, BLOCK MASUDA, DISTRICT AJMER (RAJ.). […]

स्टाप डेम बना किसानों के लिए वरदान

यदि जल न होतातो सृष्टि का निर्माण सम्भव न होता। यही कारण है कि यह एक ऐसा प्राकृतिक संसाधन है जिसका कोई मोल नहीं है। जीवन के लिये जल की महत्ता को इसी से समझा जा सकता है कि बड़ी-बड़ी सभ्यताएँ नदियों के तट पर ही विकसित हुईं और अधिकांश प्राचीन नगर नदियों के तट पर ही बसे। जल की उपादेयता […]

हमारा अपना सामुदायिक भवन

वर्ष 2015 की बात है गंाव छायन] प्रतापगढ़ (राजस्थान) में आई.एफ.डी.सी. संस्था के कुछ अधिकारीगण आये] गंाव के लोगों से चर्चा की और कहा कि आपके गांव में कोई संस्था या समूह है या कोई परियोजना चल रही है तो गांव वालों का जबाव था] नहीं। वास्तव में उस समय गंाव में कोई भी संस्था या समूह नहीं चल रहा था। […]

विश्वास और हौसला से आई खुशहाली

मै शिवकला पत्नी श्री शिवराम निवासी गोडियागढ़ी खजुरो जनपद रायबरेली की रहने वाली अनुसूचित जाति की गरीब महिला हूँ। मेरे पास एक बीघा खेती भी नहीं थी, इसलिए हमारा परिवार मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। सन् 1996-97 में हमारे गाॅव में आई.एफ.एफ.डी.सी. संस्था द्वारा समिति का गठन किया गया। […]

एक पहल महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की

वर्ष 2017-18 में आई.एफ.एफ.डी.सी. संस्था द्वारा इफको टोकियो समन्वित ग्रामीण विकास परियोजना के अन्तर्गत स्वयं सहायता समूह की बहनों को ग्राम स्तर पर सैनेट्री नेपकिन पैड बनाने की मशीन दी गई जिसमें 5 सदस्यों को […]

कम्पोस्ट खाद से पर्यावरण सुरक्षा

मुझे खुशी है कि, मेरा गाँव अब पहले की अपेक्षा बहुत साफ-सुथरा है। अब गाँव में जगह-जगह पर कूड़ा-कचरा के ढेर व बिखरा हुआ गोबर नहीं दिखाई देता। हमारे “उजाला स्वयं सहायता समूह” ने गाँव में फैली गन्दगी से कम्पोस्ट खाद बनाने की एक अनूठी पहल की जिसके हमें सकारात्मक परिणाम मिले। मेरा नाम श्यामलली है, मेरे पति का नाम […]

जमना समूह की पहचान बनी आटा चक्की

यह समूह मोटा मयंगा के स्कूल फला के पास है इसका नाम जमना समूह है इसमें 10 महिलाएं हैं। यह समूह इफको-टोकियो समन्वित ग्रामीण विकास परियोजना आने के बाद वर्ष 2015 के नवम्बर माह में बना था। इस समूह की अभी तक 28 बैठक हो चुकी हैं। जब समूह शुरू हुआ था तो इसकी मासिक बचत 50/- रुपये प्रति माह थी […]

मधुमक्खी पालन बना आय का अतिरिक्त साधन

रायबरेली जनपद की मलिकमऊ एवं खजुरो कृषि वानिकी समिति द्वारा अपने कार्यक्षेत्र की 25 महिला स्वयं सहायता सदस्यों के आय अर्जन हेतु मधुमक्खी पालन कार्यक्रम का प्रारम्भ सितम्बर 2018 में कराया गया […]