विश्वास और हौसला से आई खुशहाली

विश्वास और हौसला से आई खुशहाली


मै शिवकला पत्नी श्री शिवराम निवासी गोडियागढ़ी खजुरो जनपद रायबरेली की रहने वाली  अनुसूचित जाति की गरीब महिला हूँ। मेरे पास एक बीघा खेती भी नहीं थी, इसलिए हमारा परिवार मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। सन् 1996-97 में हमारे गाॅव में आई.एफ.एफ.डी.सी. संस्था द्वारा समिति का गठन किया गया। समिति द्वारा गाँव की ऊसर भूमि पर वृक्षारोपण का कार्य प्रारम्भ किया गया। हमारे गाँव की महिलायें भी पौधरोपण का कार्य करने के लिये समिति पर जाने लगीं। कुछ दिनों बाद समिति के कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि गाँव की 10-15 महिलायें थोड़े-थोडे़ पैसे इकटठा कर समूह के माध्यम से आयजनित कार्य करें। इस पर हम सभी महिलाओं के मन में एक शंका पैदा हुई कि यह संस्था हमारे मेहनत का पैसा लेकर कुछ दिनों बाद भाग जायेगी। हम लोगों को विश्वास नहीं हो पा रहा था, इसलिये सभी महिलाओं ने ग्राम प्रधान से मिलकर सारी बात बताई। ग्राम प्रधान ने कहा कि संस्था गाँव के विकास का कार्य करने आई है।

 यह संस्था कहीं नहीं जायेगी आप सभी लोग समिति से जुड़कर सचिव द्वारा बताई बातों पर ध्यान दें। फिर भी हम लोगों ने डरते-डरते एक समूह का गठन कर खाता खुलवाया। श्रमिक भुगतान से प्राप्त पैसों से खाते का संचालन करती रहीं। गाँव में चर्चा होती रही कि समिति इतना पौध लगवा रही है कहीं नहीं भाग कर जायेगी। कुछ दिनों बाद फिर सचिव साहब द्वारा कहा गया कि अब आप लोग समूह से कुछ पैसा ऋण पर लेकर व्यवसाय शुरू करें। मैंने हिम्मत करके समूह से 2000.00 रुपये का कर्ज लेकर अपने लड़के को पान की दुकान खुलवाई। उसी दुकान से ही मैने समूह से लिया ऋण वापस किया। 

मेरी हिम्मत बढ़ती गयी और मैंने आई.एफ.एफ.डी.सी. स्ंास्था में 10000.00 रुपये ऋण लेने का आवेदन भर दिया। कुछ दिनों बाद मेरा ऋण पास हो गया और मुझे 10000.00 रुपये व्यवसाय करने के लिये ऋण मिल गया। उस पैसे से हमने एक किराना की दुकान खोली और धीरे-धीरे हमारी आमदनी बढ़ने लगी। मैंने अपनी दोनों लड़कियों को इंटर तक की शिक्षा दिलाई और फिर शादी की। लड़के को भी बी.ए. तक पढ़ाया। उसी दुकान की आमदनी से मकान बनवाया। आज भी हमें दुकान से प्रतिमाह 8000.00 से 10000.00 रुपये तक की बचत हो जाती है। समिति व समूह से ही हमारा परिवार शिक्षित व सम्पन्न है। हम तो अशिक्षित है लेेकिन संस्था की मदद से अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया और शादी व्याह करने में सक्षम हुये। अब हमें समिति पर इतना विश्वास हो गया है कि हम समिति के हर क्रियाकलाप में हमेशा भाग लेते हैं। आई.एफ.एफ.डी.सी. संस्था की वजह से हमारा परिवार संपन्न है और खुशी से जीवन-यापन कर रहा है। हम संस्था के सदैव आभारी रहेंगे।