वर्तमान
समय
में
बढ़ती
हुई
जनसंख्या
के
कारण
लगातार
कृषि
जोत
भूमि
घटती
जा
रही
है
जिसके
कारण
पौष्टिक
खाद्य
पदार्थ
का
उत्पादन
कर
पाना
एक
समस्या
बनता
जा
रहा
है।
इस
परिस्थिति
में
मशरूम
की
खेती
करना
आवश्यक
समझा
जाने
लगा
है
क्योंकि
मशरूम
में
प्रोटीन,
विटामिन
एवं
खनिज
लवण
पर्याप्त
मात्रा
में
पाया
जाता
है
तथा
इसकी
खेती
के
लिए
खेत
की
जरूरत
भी
नहीं
पड़ती,
बस
एक
छायादार
कमरे
के
अंदर
चाहे
वह
घास
का
हो,
कच्चा
हो
या
पक्का
मकान
का
एक
कमरा
जिसमें
हवा
का
आवागमन
एवं
पानी
की
सुविधा
हो
तो
हम
सुगमता
पूर्वक
मशरूम
की
खेती
कर
सकते
हैं।
इसकी
खेती
की
एक
और
विशेषत
होती
है
कि
यह
अन्य
सब्जी
या
अनाज
की
भांति
अधिक
समय
नहीं
लेता
है।
मशरूम
की
30 से
60 दिनों
के
अंदर
फसल
तैयार
हो
जाती
है
और
अगर
इसका
तापमान
नियंत्रित
कर
सकें
तो
हम
इसकी
खेती
साल
भर
कर
सकते
हैं।
इफको
के
सहयोग
से
आई.एफ.एफ.डी.सी.
सिलीगुड़ी
(प.बं.)
द्वारा
वर्ष
2018-19 से
जिला
- दार्जीलिंग,
जलपाईगुड़ी
व
अलीपुरद्वार
के
विभिन्न
ग्रामों
मे
ग्रामीण
आजीविका
विकास
परियोजना
(आर.एल.डी.पी.)
का
क्रियान्वयन
किया
जा
रहा
है।
वर्ष
2023-24 में
जिला-दार्जिलिंग,
जलपाईगुड़ी
व
अलीपुरद्वार
के
परियोजना
क्षेत्र
के
चार
ग्रामों
में
महिला
स्वंय
सहायता
समूहों
के
साथ
बैठक
की
गई
जिसमें
स्वयं
सहायता
समूह
की
सदस्याओं
द्वारा
मशरूम
की
खेती
करके
अतिरिक्त
आय
अर्जन
की
इच्छा
जताई
गई।
परियोजना
द्वारा
स्वंय
सहायता
समूहों
को
सहायता
प्रदान
की
गयी
और
तकनीकी
प्रशिक्षण
कराया
गया।
प्रशिक्षित
महिला
सदस्यों
ने
छोटे
स्तर
पर
लगभग
2000 सिलेण्डर
बनाकर
ओयेस्टर
प्रजाति
के
मशरूम
का
उत्पादन
शुरू
किया।
महिला
स्वंय
सहायता
समूह
सदस्यों
द्वारा
उत्पादित
मशरूम
को
120 रुपये
प्रति
किलोग्राम
की
दर
से
नजदीकी
बाजार
मे
विक्रय
किया
गया।
अभी
तक
महिलाओं
द्वारा
2 फसल
ली
जा
चुकी
हैं।
दो
बार
की
फसल
से
लगभग
4000 किग्रा
मशरूम
का
उत्पादन
किया
जा
चुका
है,
जिससे
महिला
सदस्यों
द्वारा
अब
तक
2000×2x120= 4,80,000
रूपये
का
मशरूम
विक्रय
किया
जा
चुका
है।
जिसका
विवरण
निम्नवत्
हैंः
क्र.सं. |
जिला का नाम |
ग्राम का नाम |
समूह का नाम |
प्रदाय की गई सामग्री |
टोटल खर्च (रुपये) |
दो फसलों से उत्पादित मशरूम की बिक्री (रुपये) |
1. |
दार्जीलिंग (विधाननगर) |
सीटूवीटा |
सितारा एस.एच.जी. |
मशरूम बीज (500 सिलेण्डर) |
80,000 |
1,20,000 |
2. |
दार्जीलिंग (फाँसीदेवा) |
लेम्बूटारी |
प्रभाती एस.एच.जी. |
मशरूम बीज (500 सिलेण्डर) |
80,000 |
1,20,000 |
3. |
जलपाईगुड़ी |
कालरबारी |
गौरी एस.एच.जी. |
मशरूम बीज (500 सिलेण्डर) |
80,000 |
1,20,000 |
4. |
अलीपुरद्वार |
चिलापता देवडाँगा |
एकता एस.एच.जी. |
मशरूम बीज (500 सिलेण्डर) |
80,000 |
1,20,000 |
योग |
3,20,000 |
4,80,000 |
दो
बार
की
फसल
लेने
के
बाद
यदि
खर्च
को
घटा
दिया
जाये
तो
स्वयं
सहायता
समूहों
को
लगभग
1,60,000 रुपये
की
अतिरिक्त
आय
हो
चुकी
है।
मशरूम
उत्पादन
के
इस
नये
कार्य
से
स्वयं
सहायता
समूहों
की
महिला
सदस्यों
को
अतिरिक्त
आय
होने
लगी
है
जिससे
उनको
आर्थिक
रूप
से
आत्मनिर्भर
बनने
में
सहायता
मिल
रही
है।
अब
ये
महिलायें
अपने
घर
में
आय
अर्जन
सदस्य
के
रूप
में
मानी
जाने
लगी
हैं
और
परिवार
की
आजीविका
चलाने
में
सहयोग
कर
रही
हैं
जिससे
उनमें
आत्मविश्वास
बढ़
रहा
है।
अतिरिक्त
आय
होने
से
महिलायें
अत्यंत
खुश
हैं
और
इफको
एवं
आई.एफ.एफ.डी.सी.
का
धन्यवाद
कर
रही
हैं।