अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह में आई.एफ.एफ.डी.सी. की सहभागिता

सहकारिता के माध्यम से नए रोजगार सृजन कर समाज के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाई जा सकती है। सहकारिता एक आर्थिक विकास का आंदोलन है विभिन्न प्रकार के व्यवसायों की सहकारिता के माध्यम से स्थापना कर समाज में बढ़ती हुई बेरोजगारी को समाप्त किया जा सकता है। वर्तमान में सहकारिता वाद ही एक प्रकार का माध्यम है जो समाज के आर्थिक सर्वांगीण विकास में अपना योगदान निभा सकता है।


सहकारिता एक व्यापक क्षेत्र है, जहां समाज के प्रत्येक क्षेत्र में व्यवसायों की स्थापना कर समाज का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। जैसे कि आरोग्य क्षेत्र में अस्पतालों का निर्माण, कृषि के क्षेत्र में एफपीओ का निर्माण कर, डेयरी उद्योग में दूध का संकलन कर, पर्यटन क्षेत्र में पर्यटक सूचना केंद्र खोलकर, रोजमर्रा उपयोग में आने वाली सामग्री का वितरण उपभोक्ता भंडारों के माध्यम से कर तथा इसी प्रकार घरेलू उद्योगों के माध्यम से रोजगार उपलब्ध करवाकर सहकारिता को बढ़ावा दिया जा सकता है।

देश की 70 से अधिक सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों के लगे हुए सुंदर स्टॉल, इन स्टॉलों को देखते एवं खरीदारी करते लोग, दिल्ली एवं एन.सी.आर. के कई स्कूलों से आये बच्चे, समूह में पंजाबी गीतों पर नृत्य करते बच्चे हर किसी का मन मोह रहे थे। यह दृश्य था 14 से 20 नवंबर, 2022 के दौरान दिल्ली के एन.सी.यू.आई. परिसर में आयोजित अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह का।

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एन.सी.यू.आई.) द्वारा एनसीयूआई परिसर में 14-20 नवंबर, 2022 तक अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि श्री बी.एल. वर्मा, केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री, भारत सरकार ने किया। समारोह की अध्यक्षता एनसीयूआई के अध्यक्ष श्री दिलीप संघानी ने की। इस दौरान सहकारी मेले का भी आयोजन किया गया। इस सहकारी मेले में देश की जानी-मानी सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों ने स्टॉल पर अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया। एनसीयूआई हाट, सहकारी समितियों/एसएचजी का एक अनूठा बिक्री मंच है, जो एनसीयूआई परिसर में कार्य करता है। इस वर्ष के अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह समारोहका विषय इंडिया@75: सहकारिता का विकास और आगे का भविष्यथा।

देश भर की सहकारी समितियों ने 69वें अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह में हिस्सा लिया। इफको, अमूल, नेफेड, कृभको, कैम्पको, आई.एफ.एफ.डी.सी. और अन्य राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय सहकारी समितियों सहित सहकारी समितियों ने अपने-अपने अंदाज में कार्यक्रम में भागीदारी की।

कोविड संकट के समय में दुनिया भर की सहकारी समितियों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। अपने सिद्धांतों के अनुरूप उन्होंने संकट के दौरान लोगों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

आई.एफ.एफ.डी.सी. हमेशा से ही स्वयं द्वारा संवर्द्धित सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को आगे बढ़ाने हेतु तत्पर रही है। आई.एफ.एफ.डी.सी. ने हमेशा कोशिश की है कि उसके द्वारा संवर्द्धित सहकारी समितियों एवं स्वयं सहायता समूहों एवं कृषक उत्पादक संगठनों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिले तथा उनके सदस्यों की आजीविका में सुधार हो।

आई.एफ.एफ.डी.सी. स्वयं की संवर्द्धित सहकारी समितियों एवं स्वयं सहायता समूहों एवं कृषक उत्पादक संगठनों के उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने एवं उनके उत्पादों की बिक्री हेतु इस सहकारिता सप्ताह के दौरान आयोजित एन.सी.यू.आई. हाट में सहभागिता की गई। सहकारिता सप्ताह के दौरान इन उत्पादों की बिक्री हेतु आई.एफ.एफ.डी.सी. द्वारा एक स्टॉल लगाई गई। आई.एफ.एफ.डी.सी. की स्टॉल का उद्घाटन श्री बी.एल. वर्मा, केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री, भारत सरकार ने किया।

श्री एस पी सिंह, प्रबंध निदेशक, आई.एफ.एफ.डी.सी. ने स्वयं सहायता समूहों, कृषक उत्पादक संगठनों एवं आजीविका समूहों के विभिन्न उत्पादों के साथ-साथ संस्था द्वारा ग्रामीण महिला सशक्तिकरण हेतु किए का रहे प्रयासों के बारे में अवगत कराया। श्री वर्मा ने संस्था द्वारा किए जा रहें प्रयासों की प्रशंसा की।

जिसमें आई.एफ.एफ.डी.सी. द्वारा संवर्द्धित ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड की सहकारी समितियों एवं स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की प्रदर्शनी लगायी गई एवं उनके उत्पादों की बिक्री भी की गई। कोविड की मार झेल रही सहकारी समितियों एवं स्वयं सहायता समूहों के लिए यह अवसर काफी राहत लेकर आया।

सहकारिता सप्ताह के दौरान ओडिशा के स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों जैसे चाँदुए, बैग, नारियल के रेशे से बने खिलौने, राजस्थान की कोटा डोरिया साड़ियाँ, सूट, ब्लॉक प्रिंट बेड शीड, हैंड मेड टॉवेल, आई.एफ.एफ.डी.सी. द्वारा स्वयं का चना एवं मूँग, उत्तर प्रदेश की सहकारी समितियों का शहद, उत्तराखण्ड के मुंशियारी राजमा, धनियाँ, मिर्च, मेंथी, अजवाईन, तेजपत्ता, बड़ी इलायची, मंडुआ, झंगोरा आदि उत्पादों की लगभग 40,000 रुपये की बिक्री की गई।