कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से महिला सशक्तिकरण

भुवनेश्वर से पुरी रोड पर लगभग 31 कि.मी. की दूरी पर स्थित पिपली बाजार एवं सिउला की दुकानों में सुदर हस्तशिल्प जैसे नारियल जूट से बने जानवरों की आकृति के मनमोहक खिलौने, चाँदुए जिनमें अनेकों आकृतियाँ उकेरी गईं हैं, छोटे-छोटे खूबसूरत पर्स एवं बैग, हैंगिंग इत्यादि को खरीदने के लिए श्रद्धालुओं व पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।

इन सभी उत्पादों को बनाने का कार्य कर रही हैं एक छोटे से गाँव सिउल की महिलाऐं जो जन-जागरण स्वयं सहायता समूह एवं माँ जागेश्वरी स्वयं सहायता समूह की सदस्यायें हैं। आई.एफ.एफ.डी.सी. द्वारा इफको ग्रामीण आजीविका विकास परियोजना के अंतर्गत प्रदत्त कौशल प्रशिक्षण से इन महिलाओं के जीवन में अभूतपूर्व बदलाव आया है। इनकी आर्थिक स्थिति अब पहले से बेहतर हो रही है। अब ये महिलायें सहजता से अपना व अपने परिवार का जीवन-यापन कर रही हैं।

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परियोजना से पूर्व आर्थिक विपन्नता इन महिलाओं के जीवन में नासूर सी बन गई थी। घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, परिवार के सदस्यांे की बीमारी इनके जीवन की बहुत बड़ी मुसीबतें थीं। हम बात कर रहे हैं ओडिशा राज्य के पुरी जिले की पिपली तहसील में स्थित एक छोटे से गाँव सिउला की, जिसमें कुल 396 परिवार हैं, जो कि, शांतिपूर्ण एवं आपस में मिलजुलकर रहते हैं। कृषि एवं दैनिक मजदूरी ही इनका आजीविका का मुख्य साधन था। सिउला गांव की कुल जनसंख्या 2025 है, जिसमें 987 महिलाऐं व 1038 पुरुष हैं।

इसी गांव में एक परिवार है श्रीमति सुदामनी जैना का, जो अपने परिवार का सामान्य रूप से भरण-पोषण करने में असमर्थ थीं, इन्हीं के द्वारा जन-जागरण स्वयं सहायता समूह एवं माँ जागेश्वरी स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया। श्रीमति सुदामनी जैना 8वीं तक पढ़ाई करने के बाद खेती बाड़ी का कार्य करती थीं परंतु अकस्मात वर्ष 2006 में भयंकर बाढ़ आने के कारण खेतीबाड़ी पूरी तरह चौपट हो गई। इस घटना ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई आदि के खर्च को वहन करना सुदामनी के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय था। स्थानीय साहूकार से 60 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करते-करते इनका परिवार कर्ज के बोझ तले डूबा हुआ था। सामान्यतः गरीबी इंसान की सफलता में अड़चन बन जाती है लेकिन कुछ लोग इससे प्रेरणा लेकर जिंदगी में कुछ बड़ा कर जाते हैं। श्रीमति सुदामनी ने भी हिम्मत नहीं हारी और परियोजना की प्रेरणा से कुछ अन्य महिलाओं को संगठित कर एक समूह का गठन किया व समूह में छोटी-छोटी बचत करना प्रारम्भ किया। समूह ने शुरुआत में 20 रुपये प्रतिमाह की बचत राशि प्रति सदस्य को जमा कर बैंक में खाता खुलवाया। धीरे-धीरे इनकी बचत राशि बढ़ती गई और आज इस समूह की कुल बचत राशि 9 लाख रुपये है जिसे समूह के सदस्य आपसी लेन-देन करके 24 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर समूह में ऋण लेकर अपनी वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।

इन समूहों के सदस्यों की आर्थिक स्थिति थोड़ी बहुत सुधरना शुरू हो गई थी। इफको ग्रामीण आजीविका विकास परियोजना ने समूह के सदस्यों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया। कुछ सदस्यों को सिलाई करना आती थी, अतः सदस्यों से चर्चा की गयी। अधिकांश सदस्यों का कहना था कि, अगर कोई कौशल कार्य सिखाया जाए तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकता है। हस्तशिल्प का कार्य करने के लिए उनकी रुचि जागृत की गई। क्योंकि हस्तकला उत्पादों की बिक्री के लिए पिपली बाजार ग्राम से पास में ही था।

आई.एफ.एफ.डी.सी. के माध्यम से कुल 26 सदस्यों को हस्तशिल्प कला पर 2 माह का डिजाईन डेवलपमेंट का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में चंदवा, पर्स, बड़ा बैग, वॉल हैंगिंग, नारियल जटा से विभिन्न प्रकार के जानवरों की आकृति व अन्य आकर्षक वस्तुओं के चित्र बनाना आदि को सिखाया गया। प्रशिक्षण के उपरांत सभी सदस्यों ने अंशदान इकट्ठा करके अपना स्वयं का कार्य प्रारम्भ करने हेतु कच्चा माल खरीदा। सामूहिक रूप से चंदवा, पर्स, बैग, हैंगिंग, खिलौने आदि तैयार करके पिपली बाजार में बिक्री करना प्रारंभ किया। इससे इन सदस्यों को आमदनी होने लगी जिससे उनके आत्म विश्वास में वृद्धि हुई।

कहा जाता है कि एक छोटो सी शुरुआत भी बड़ी बन सकती है। धीरे-धीरे, गाँव में 5 स्वयं सहायता समूह बन गये। इफको ग्रामीण आजीविका विकास परियोजना की पहल से इन स्वयं सहायता समूहों को संगठित कर जन जागरण महिला बहुद्देशीय सहकारी समितिका गठन किया गया। इस समिति ने आस-पास के बाजार में अपनी साख बना ली। लगातार मेहनत आदत बनी फिर कामयाबी राह बन गई। समूहों की बचत को देखते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा इनके कार्य को आगे बढ़ाने हेतु अभी तक कुल 55 लाख रुपये का लोन दिया जा चुका है, जिसको समय पर वापस भी कर दिया गया। समिति अध्यक्ष श्रीमति सुदामनी जैना आज इफको की आम सभा में प्रतिनिधि सदस्य हैं। वह बड़े गर्व से बताती हैं कि, उस मुश्किल समय में यदि समूह का गठन न होता तो हमारा जीवन नरक में जीने जैसा होता। आज हमारे गांव की निरक्षर महिलायें राष्ट्रीय स्तर (एन.सी.यू.आई. हाट), जिला, तहसील व सभी स्तरों पर आयोजित होने वाले मेलों, हाट बाजार में हस्तशिल्प उत्पादों की बिक्री कर प्रतिमाह प्रति सदस्य 15,000 से 20,000 रुपये अर्जित कर रही हैं। वर्तमान में, हमारे द्वारा निर्मित हस्तकला उत्पादों के लिए पिपली बाजार, पुरी बाजार, चर्च व अन्य जगहों से लगातार आर्डर मिलते रहते हैं जिन्हें पूरा करना भी मुश्किल होता है।

वर्ष 2020-2021 में कोरोना महामारी के दौरान समूह की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था, क्योंकि, यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों की संख्या बहुत ही कम रह गयी थी। इस अवधि के दौरान, आई.एफ.एफ.डी.सी. के प्रयासों से डायरेक्टोरेट ऑफ हैंडीक्राफ्ट्स, ओडिशा सरकार के माध्यम से भुवनेश्वर मंे आयोजित राष्ट्रीय तोशाली हस्तशिल्प मेला वर्ष 2021-22“ में इनके उत्पादों की बिक्री व प्रदर्शनी का एक स्टॉल लगाया गया। समूहों ने मात्र 10 दिनों, 2 लाख रुपये की शुद्ध आमदनी अर्जित की जिससे उनका काफी उत्साहवर्धन हुआ। समूह के उत्साह को देखते हुए, आई.एफ.एफ.डी.सी. ने उत्कालिका हैंडलूम और हस्तशिल्प उड़ीसासे संपर्क कर इस समिति की महिलाओं द्वारा निर्मित हस्तकला उत्पादों के नियमित विपणन की व्यवस्था स्थापित की। अब इन्हें निरन्तर आर्डर प्राप्त हो रहे हैं और समूह सदस्यों की नियमित आय हो रही है।

समूह की उपाध्यक्ष श्रीमति विनोदी बस्था कहती हैं कि, जो अपने हुनर की काबिलियत पर विश्वास करते हैं, उन्हें मंजिल मिल ही जाती है। समूह में जुड़ने के बाद बचत की बढ़ोत्तरी, आय व संपत्ति निर्माण, उपभोग में बढ़ोत्तरी के साथ ही साथ सदस्यों के सोच-विचार व व्यवहार में बहुत परिवर्तन देखने को मिल रहा है। महिलायें न केवल पारिवारिक बल्कि सामुदायिक सशक्तीकरण के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की ओर अग्रसर हो रही हैं। इसका श्रेय समिति की महिलायें इफको ग्रामीण आजीविका विकास परियोजना को देती हैं। वे कहती हैं कि इस परियोजना के माध्यम से हमको वह सब मिला जैसे इज्जत, सम्मान आर्थिक स्थिति में सुधार, ज्ञान, कौशल तथा जागरूकता। जिसको हम पैसे से भी नहीं खरीद सकते थे। इन सभी के कारण हमारा व्यवसाय लाखों का हो चुका है और सभी महिलायें अपना जीवन-यापन खुशी से कर रही हैं।